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लोकभाषाओं से समृद्ध है हिंदी अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस के उपलक्ष में अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने आयोजित की संगोष्ठी

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झाँसी। भारतीय भाषाओं के संवर्धन एवं संरक्षण को समर्पित “अखिल भारतीय साहित्य परिषद ” की मासिक साहित्य संगोष्ठी सैनी गार्डन नाथ की कोठी सीपरी बाजार में मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से सम्मानित बुंदेली के वरिष्ठ कवि एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष प्रताप नारायण दुबे की अध्यक्षता में आयोजित की गई। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ राम शंकर भारती उपस्थित रहे वहीं लोक संगीत गायिका श्रीमती बृजलता मिश्रा विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचाशीन रहीं संगोष्ठी का शुभारंभ श्रीमती वृजलता मिश्रा की बुंदेली वाणी वंदना से हुआ तत्पश्चात परिषद के जिला मंत्री विजय प्रकाश सैनी ने अपनी वैचारिक रचनाएं पढ़ते हुए आज की सामाजिक बुराइयों पर अनेक प्रहार किए। उन्होंने राष्ट्रभाषा हिंदी के लिए लोक भाषाओं की समृद्धि की बात कही। वहीं वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण मुरारी श्रीवास्तव सखा ने बुंदेली में सुंदर भजन प्रस्तुत किया। हाइकु और लघुकथा लेखन के क्षेत्र में महारत हासिल कर चुके देश के चर्चित कवि एवं साहित्यकार आदरणीय निहाल चंद शिवहरे ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की वर्तमान परिस्थितियों को सुखद और समृद्धशाली बनाने का संदेश दिया। आशुकवि मधुरेश जी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कुछ दोहे पड़े । हिंदी के लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार साकेत सुमन चतुर्वेदी ने अपने के गीत के माध्यम से हिंदी के उत्कर्ष की बात कही। कार्यक्रम का सफल संचालन कर रहे राजेश तिवारी मक्खन ने अपनी कविताओं और हास्य व्यंग्य के विनोदी पुट के माध्यम से संगोष्ठी को रसमय बना दिया। रंगकर्मी ब्रह्मादीन बंधु ने कामगारों की चिंता को लेकर अपनी सुघड़ रचना पढ़ी। वहीं कामता प्रसाद प्रजापति ने अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस को समर्पित गीत पढ़ा। जानीमानी कवयित्री डा.सुमन मिश्रा के मुक्तक और गीत हमेशा ही उत्कृष्ट होते हैं सो इस बार भी उनके गीत और मुक्तक गोष्ठी में गूँजते रहे। श्री अशोक मिश्रा जी ने एक विरह गीत सुनाया। दिनेश शर्मा चिंतक ने राष्ट्रवादी दोहे सुनाए। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. रामशंकर भारती ने अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस के संदर्भ में सभी से आग्रह किया कि हम सभी अपनी क्षेत्रीय लोक भाषाओं के शब्दों का प्रयोग करते हुए अपने भाषा को समृद्ध बनाएँ। उन्होंने गाँव से जुड़ा हुआ यह गीत भी पढ़ा। समारोह के अंत में संगोष्ठी के अध्यक्ष वरिष्ठ बुंदेली साहित्यकार प्रतापनारायण दुबे ने बुंदेली सहित समस्त भाषाओं के प्रति सद्भाव और समृद्धि की मंगल कामना करते हुए अपने चिरपरिचित अंदाज में लोक भाषा बुंदेली में एक दादरा सुनाया। उन्होंने रेलगाड़ी में चना , मूँगफली , फूला आदि बेचने वाली महिलाओं की स्थिति को दर्शाते हुए के मार्मिक बुंदेली गीत सुनाया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिला मंत्री व संगोष्ठी के आयोजक विजय प्रकाश सैनी ने सभी आगंतुकों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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