झांसी। बुंदेलखंड क्षेत्र में जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को नवीनतम तकनीकों से अवगत कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्तपोषित “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन ऑर्गेनिक एंड नेचुरल फार्मिंग” के अंतर्गत 25 फरवरी से 1 मार्च 2025 तक पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम माननीय कुलपति डॉ. ए.के. सिंह के संरक्षण में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को रासायनिक खेती से हटकर जैविक एवं प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करना था, जिससे न केवल मृदा स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिलेगी, बल्कि बेहतर पोषण और पर्यावरण संतुलन भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।कार्यक्रम के अध्यक्ष निदेशक शिक्षा डॉ. अनिल कुमार, कृषि महाविद्यालय के डीन डॉ. आर.के. सिंह, एवं बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ. मनीष श्रीवास्तव ने किसानों को इस विषय में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया। इस प्रशिक्षण के समन्वयक डॉ. योगेश्वर सिंह ने बताया कि जैविक खेती की ओर लौटने से किसानों को स्वस्थ और प्राकृतिक उत्पाद प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में जैविक खेती को एक बड़े स्तर पर अपनाने की आवश्यकता है ताकि यहाँ के किसान लाभान्वित हो सकें।प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में श्री वी. के. सचान (प्राचार्य, शासकीय कृषि फार्म, कृषि महाविद्यालय, चिरगांव, झांसी) ने जैविक खेती के महत्व पर विस्तार से चर्चा की और किसानों को इस पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद विभिन्न तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. शिवेंद्र सिंह ने बीजामृत, जीवामृत एवं घनजीवामृत जैसी जैविक खादों की तैयारी की विधियों को विस्तार से समझाया। वहीं, डॉ. विश्वनाथ चौहान ने गोबर खाद, हरी खाद और जैविक पोषक तत्वों के निर्माण की तकनीकों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। किसानों को फार्म भ्रमण के दौरान जैविक खेती की आधुनिक तकनीकों का प्रत्यक्ष अनुभव भी कराया गया, जिससे वे अपने खेतों में इसे प्रभावी रूप से लागू कर सकें।इस प्रशिक्षण के दौरान किसानों को ब्रहमास्त्र, नीमास्त्र और बीजामृत जैसे पारंपरिक जैविक उपचार तैयार करने की विधियां सिखाई गईं, जिससे वे प्राकृतिक रूप से कीट और रोगों के प्रबंधन को सीख सकें। इसके अतिरिक्त, प्राकृतिक खेती में बीज उपचार, पोषक तत्व प्रबंधन और रोग नियंत्रण की आधुनिक जैविक विधियों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। डॉ. अनिल कुमार ने क्लस्टर निर्माण एवं फेडरेशन तैयार करने की प्रक्रिया पर विशेष जोर दिया, जिससे जैविक खेती को संगठित रूप में बढ़ावा मिल सके। वहीं, डॉ. विनोद कुमार सचान ने जैविक एवं प्राकृतिक खेती के इतिहास, महत्व और इसकी बुंदेलखंड क्षेत्र में संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।यह पाँच दिवसीय प्रशिक्षण किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक साबित हुआ, जिसमें बुंदेलखंड क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से आए किसानों ने भाग लिया और जैविक खेती की तकनीकों को व्यावहारिक रूप से सीखा। किसानों ने इस प्रशिक्षण को अत्यधिक उपयोगी बताया और भविष्य में जैविक खेती अपनाने की प्रतिबद्धता जताई। इस सफल प्रशिक्षण कार्यक्रम से बुंदेलखंड क्षेत्र में जैविक खेती को नई दिशा और गति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे स्थानीय किसानों की आय में वृद्धि होगी और कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






