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पपीता की नर्सरी लगाना शुरु करें किसान

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झाँसी। रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के फल वैज्ञानिकों ने पपीता की नर्सरी लगाने की सलाह दी है। डॉ. गोविन्द विश्वकर्मा और डॉ. मनोज कुंडू ने बताया कि मार्च से अप्रैल में पपीता की पौध लगा सकते हैं। इसके लिए अभी से नर्सरी तैयार करना शुरु कर दें। सर्वप्रथम पपीता की नर्सरी तैयार करें, इससे स्वस्थ एवं गुणकारी पौधे प्राप्त किए जा सकते हैं। एक एकड़ क्षेत्र में पपीता की खेती के लिए 100 – 150 ग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है। नर्सरी तैयार करने के लिए बीज को पूरी रात पानी में भिगोकर रखें और सुबह के समय इसे पानी से निकालकर कुछ देर तक छाया में रख दें। बीज लगाने हेतु दो टोकरी में अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद, आधा टोकरी बालू तथा एक मुट्ठी नींम की खली प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मिट्टी में अच्छे से मिला दें तथा 1.5 मीटर चौड़ा एवं 15 सेमी ऊँचा बेड (क्यारी) तैयार कर लें। इसके पश्चात बीज को 20 से 25 सेमी की दूरी पर बुवाई कर दें। बीजों को बुवाई के उपरांत पुआल से अच्छे से ढक दें जिससे जमीन में नमीं काफी समय तक बनी रहती है। पपीता के बीजों का जमाव जल्दी होता है, बीजों के जमने के पश्चात् पुआल को हटा दें। पौधों की सिंचाई हमेशा फव्वारे से ही करनी चाहिए तथा ध्यान रहे की बेड पर जल जमाव नहीं होे पाए अन्यथा पौधों में तना गलन रोग फैलने लगता है। इस रोग से सारे पौधे गलकर मर जाते हैं। बुवाई से 40 से 45 दिन पश्चात् पपीते के पौधे रोपण हेतु तैयार हो जाते हैं। सदैव बीज अनुसंधान संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय अन्य सरकारी संस्थानों या प्रमाणित दुकानों से ही खरीदें इससे मिलावटी या नकली बीज से बचा जा सकता है। बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए पपीते की कुछ प्रमुख प्रजातियां जैसे रेड लेडी या ताइवान 786, अर्का प्रभात, अर्का सूर्या इत्यादि हैं जिसको लगाकर किसान अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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