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कागजों में दौड़ रही स्मार्ट सिटी, मुख्यमंत्री के सचिव का आदेश भी नही सुधरवा पा रहे स्ट्रीट लाइट, शिकायतों में लगाई जा रही फर्जी रिपोर्ट

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झांसी। जनपद को स्मार्ट सिटी का दर्जा देने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ो रुपया खर्च किया जा रहा। बावजूद इसके हकीकत में सब शुन्य है। नगर निगम द्वारा स्मार्ट सिटी के नाम पर कचरा फैलाने के नाम जुर्माना वसूल किया जा रहा लेकिन सुविधाएं कुछ नही दी जा रही। नगर निगम की स्वच्छ भारत मिशन और स्मार्ट सिटी के दावों की पोल अभी हाल में हुई बरसात के पानी से लवा लब हुए नालों के पानी में घरों में घुस कर पोल खोल दी। स्मार्ट सिटी के नाम पर सरकारों ओर जनता को वेबकुफ बनाने का कार्य किया जा रहा। धरातल में शून्य है। शहर में लगी स्ट्रीट लाइट को बदलने की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनियों को दे दी। गली मोहल्लों में दो से तीन महीनों से खराब पड़ी स्ट्रीट लाइट कागजों में बदल गई। शिकायतों पर फर्जी रिपोर्ट लग गई। अंधेरा जस की तस ओर ठेका लेने वाली कंपनियों का समय पर बिल पास हो गया। यही नहीं शिकायत पर मुख्यमंत्री के सचिव द्वारा स्ट्रीट लाइट को सुधारने के आदेश किए हुए पंद्रह दिन से ज्यादा गुजर गए लेकिन आज तक लाइट नही सुधारी गई। नगर निगम और प्राइवेट कंपनी की यह उदासीनता क्या भाजपा को अगली बार नगर निगम चुनाव में जीत दिलाएगा क्या यह उदासीनता शहर को स्मार्ट सिटी बना पाएगा। यह फिर यू ही कागजों में ही खेल चलता रहेगा।आपको बता दे की सीपरी बाजार के आदर्श नगर में पिछले ढाई माह से स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी है। नगर निगम को दर्जनों बार कंप्लेंट की जा चुकी लेकिन नगर निगम कर्मचारी प्राइवेट कंपनी का ठेका बताकर पल्ला झाड़ लेते है। नगर निगम ने प्राइवेट कम्पनी को ठेका दिया है और वह कार्य नही कर रही तो नगर निगम उसे पैसा क्यों दे रहा साथ ही सबसे बड़ा सवाल शिकायत दर्ज होने के बाद फर्जी निस्तारण क्यों हो रहे। इसी प्रकार दूसरा मामला मेडिकल कोलेज पिछोर गैंडा कॉलोनी का है। जहां रहने वाले समाज सेवी मुदित चिरवारिया ने तीन माह पूर्व स्ट्रीट लाइट खराब होनी की शिकायत कईयों बार नगर निगम पोर्टल पर दर्ज कराई हर बार फर्जी निस्तारण की आख्या लगाकर शिकायत बंद कर दी गई। उन्होंने इसकी शिकायत मुख्य मंत्री पोर्टल पर करते हुए बताया की मुख्यमंत्री पोर्टल पर आने वाली शिकायत का नगर निगम फर्जी निस्तारण कर रही जबकि समस्या वही की वही है। इस मामले को गंभीरता से लेकर मुख्यमंत्री के उप सचिव सिद्धा शरण ने नगर निगम को करीब पंद्रह दिन पूर्व समस्या का त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए थे। लेकिन आज तक मुख्यमंत्री सचिव के निर्देशों का पालन भी नही हुआ। यह है नगर निगम का स्मार्ट सिटी।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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