झांसी। मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी बनाने के मामले में कई बार नगर निगम पर आरोप प्रत्यारोप लगे है। लेकिन एक प्रकरण ऐसा हुआ जिसमे हवलदार को पुलिस ने जेल भेज दिया। इसके बाद परिजनों ने कई साक्ष्य और दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए हवलदार को निर्दोष बताकर नगर निगम के कई कर्मचारियों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने प्रस्तुत किए गए साक्ष्य में बताया की मृतक की मौत मुंबई में हुई और उसके परिजनों ने प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पोर्टल पर आवेदन दिया। जिस पर हलवदार ने दो गवाही लगाकर उसकी मौत की संस्तुति की रिपोर्ट भेज दी। लेकिन परिजनों का आरोप है हवलदार की रिपोर्ट आने के एक दिन पूर्व ही नगर निगम के भ्रष्ट कर्मचारियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। उन्होंने पुलिस ओर नगर निगम के अधिकारियों से निष्पक्ष विवेचना करने की मांग की है।
नगर निगम के सफाई हवलदार को धोखाधड़ी के मामले में जेल भेज दिए जाने के बाद उसकी पत्नी ने नगर निगम में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए पूरे प्रकरण की जांच की मांग कर पति को रिहा करवाए जाने की मांग की है। इस संबंध में बंगला घाट निवासी श्रीमती कस्तूरी ने आज उप नगर आयुक्त तथा अपर नगर आयुक्त को प्रार्थना पत्र देते हुए अवगत कराया कि उसका पति राजेश नगर निगम में नियमित सफाई हवलदार के रूप में वार्ड क्रमांक 19 में तैनात है। 18 जुलाई को कोतवाली पुलिस द्वारा उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया। श्रीमती कस्तूरी के अनुसार नगर निगम में एक व्यक्ति ने 5 सितंबर 2016 को श्रीमती चांदवी पुत्री शेख सुलेमान का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाये जाने के लिए आवेदन किया था, जिसमें मृतका की मृत्यु की तिथि 7 जुलाई 2016 दर्शाई गई थी। 2016 में जन्म तथा मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए शासन के आदेश से लोकवाणी केंद्रों पर आवेदन प्रस्तुत करना होते थे, जिसे लोकवाणी केंद्र संचालक आवेदन के समस्त प्रपत्रों को कंप्यूटर से स्कैन कर नगर निगम में कार्यरत जन्म तथा मृत्यु लिपिकों को प्रेषित करते थे। लिपिक द्वारा क्षेत्रीय हवलदारों को जांच तथा आख्या हेतु प्रार्थना पत्रों को प्रेषित किया जाता था। 9 सितंबर 2016 को इसी क्रम में श्रीमती चांदवी की मृत्यु प्रमाण पत्र के आवेदन पर उसके पति ने अपनी आख्या अंकित की। इस आख्या पर क्षेत्रीय सफाई निरीक्षक ने भी 9 सितंबर 2016 को अपनी रिपोर्ट अंकित कर नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पास भेजी, जहां नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने काउंटर साइन किए। आरोप लगाया गया है कि इस प्रक्रिया के विपरीत जन्म तथा मृत्यु प्रमाण पत्र लिपिक एवं लोकवाणी केंद्र संचालक की मिलीभगत से दाखिल की गई आख्या के एक दिन पहले ही 8 सितंबर 2016 को उक्त मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। इस संबंध में कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया, लेकिन उसके पति को झूठा फंसा दिया गया। पुलिस ने भी बिना जांच पड़ताल किए उसके पति को जेल भेज दिया। प्रार्थना पत्र में पूरे मामले की निष्पक्ष तथा गहराई से जांच कर पति को रिहा करवाये जाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों से गुहार की गई है। दूसरी ओर, इस मामले को लेकर सफाई कर्मचारियों में भी आक्रोश देखने को मिला है।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






