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जिलाधिकारी की जनपदवासियों से की अपील सर्पदंश के बारे में जानकारी ही बचाव है सर्पदंश के पश्चात झाड़-फूंक से बचें, समय से इलाज कराना सुनिश्चित करें

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झांसी। आज जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने कलेक्ट्रेट में जनता दर्शन के दौरान जनपद वासियों विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के ग्रामीण जनों एवं बच्चों से अपील करते हुए कहा कि जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार वर्षा होने एवं डैम से पानी छोड़े जाने के कारण क्षेत्र में बहुतायत स्थानों पर जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इसके दृष्टिगत बह कर आने वाले पानी में जहरीले जीव जंतुओं का भी क्षेत्र में आना स्वभाविक है,अतः इस दशा में सभी सतर्क रहें और एक दूसरे को जहरीले जीव जंतुओं के साथ ही सर्पदंश से बचाव एवं उपचार हेतु जानकारियां उपलब्ध कराएं। जिलाधिकारी ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंध प्राधिकरण भारत सरकार नई दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण लखनऊ के माध्यम से भारत और उत्तर प्रदेश में घटित सर्पदंश की घटनाएं प्रायः बढ़ने के दृष्टिगत उससे होने वाले नुकसान और बचाव हेतु एडवाइजरी जारी की करते हुए व्यापक प्रचार-प्रसार किए जाने का निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने बताया कि भारत में अन्य राष्ट्रों जैसे आस्टेलिया व अमेरिका में विषैले सर्पों की प्रविशता 85-65 प्रतिशत आंकि गयी है जबकि विषहीन सर्प की प्रविशता 15-35 प्रतिशत है जिसके सापेक्ष मरने वाले की संख्या प्रत्येक वर्ष 0 से 10 व्यक्तियों* की है, परन्तु भारत में विषैले सर्प मात्र 15 प्रतिशत ही है जिसके सापेक्ष भारत मे प्रत्येक वर्ष लगभग 45-46 हजार मृत्यु सर्पदंश से होती है, जिसका प्रमुख कारण लोगो में *अज्ञानता व समय से ईलाज न कराने के वजाय झाड़-फूक* आदि पर ज्यादा विश्वास करने से होती है। उन्होंने कहा कि भारत में विषैलें प्रमुख सर्प नाग (कोबरा)/कॉमन कैरत/स्कैल्ड वाईपर/रैसेल वाईपर व पिट्ट वाईपर* पाये जाते है ।जानकारी देते हुए बताया कि जिन सर्पों की बनावटसिर-त्रिकोण (अपवाद कोबरा)/सिर के सल्क-छोटा/बेली स्केल- फैला हुआ/फैंग (विषदंत)/पुतलियॉ(इलिप्टिकल पुतली)/एनल प्लेट(एक लाइन वाली प्लेट) सॉंप के आंख एवं नथुनों के बीच पिट या छेद पिट वाइपर मेें उपस्थित बाइट का निशान दंश का निशान सिर गोलाकार/सिर के सल्क (बडा)/बेली स्केल (फैला हुआ)/फैंग विषदंत (उपस्थित)/पुतलियॉ (इलिप्टिकल पुतली)/एनल प्लेट (एक लाइन वाली प्लेट) सॉंप के आंख एवं नथुनों के बीच पिट या छेद पिट वाइपर मेें (उपस्थित) बाइट का निशान (दंश का निशान) पाया जाता है और यदि वह काट लेता है तो काटे गये जगह को साबून व पानी से धोएं, दांत के निशान की जॉच करें, कहीं जहरीले सर्प के काटने का दो दंत का निशान तो नही ? काटे हुए अंग को हृदय के लेवल से नीचे रखें ?सर्पदंश वाले अंग को स्थिर (फिक्स) करें। बैंडेज (इंदकंहम) घाव पर और उसके उपर लगाते हुए घायल व्यक्ति को सांत्वना दें, घबराहट से हृदय गति तेज चलने से रक्त संचरण तेज हो जायेगा और जहर सारे शरीर में जल्द फैल सकता है। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने सर्प दंश के दौरान क्या करें और क्या ना करें की जानकारी देते हुए बताया कि बर्फ अथवा अन्य गर्म पदार्थ का इस्तेमाल काटे गये स्थान पर न करें। सर्प से प्रभावित व्यक्ति के कटे स्थान पर टुर्निकेट ( तेज कपडे से न बॉधे)। इससे संबंधित अंग में रक्त प्रवाह पूरी तरह रूक सकता है एवं संबंधित अंग की क्षति हो सकती है। काटे गये स्थल पर चीरा न लगाए। यह आगे नुकसान पहुॅंचाता है। घायल को चलने से रोकें। सॉंप के विष के अनुसार एंटी वेनम (इंजेक्शन) लगवाया जाय। जिलाधिकारी ने जहरीले सर्प के काटने पर होने वाले लक्षण की जानकारी देते हुए कहा कि *स्पैक्टेक्लैड कोबरा* द्वारा काटे जाने पर काटे गए जगह पर दर्द होने, नींद आना, सांस लेने में परेशानी/बंद होती पलकें, नेक्रोसिस (शरीर के कोषिकाओं की मृत्यु पक्षाघात, मुॅह परा झाग का आना, निगलने में परेशानी।*स्केल्ड वाइपर* इस जहरीले सांप द्वारा काटे जाने पर काटे गये स्थान पर जलन एवं दर्द। पीठ के निचले भाग एवं लोइन (पसली एवं कमर के हड्डी के बीच वाली जगह पर दर्द) मानसिक क्षति के कारण आन्तरिक कोषिकाओं एवं वाह्य कोषिकाओं में रक्तस्राव, अत्यधिक सूजन,काटे गये स्थान पर तेजी से जलन, अत्यधिक नेक्रोसिस (शरीर के कोषिकाओं की मृत्यु) हो जाता है। जिलाधिकारी ने सॉंप को दूर रखने के तरीके की जानकारी देते हुए बताया कि सॉंप के बिल में *कार्बोलिक एसिड डाल दें*, *उसके गंध से सॉंप दूर हो जाते है*। *मुर्गी के चूजे और चूहे को घरों से दूर रखें।* सॉंप काटने से मृत व्यक्तियों में से आधे से अधिक लोग विषहीन सर्प के काटने से मरते है। अतः सर्पदंश के बारे में जानकारी ही बचाव है।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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