
झांसी। आज दिनांक 10 अक्टूबर 2024 को अफ्रीकी देश युगांडा से श्रीमती कुमुमन्या बेन, परमानेंट सेक्रेट्री, मिनिस्ट्री ऑफ लोकल गवर्नमेंट हेड ऑफ डेलीगेशन ने सात अन्य सदस्यों के साथ इक्रीसेट द्वारा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के टहरौली तहसील के 40 गाँवों के लगभग 28000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में परिचालित परियोजना जो कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्तपोषित है, का अवलोकन किया। जनपद भ्रमण पर आए युगांडा के पर्मानेंट सेक्रेटरी मिनिस्ट्री ऑफ़ लोकल गवर्नमेंट, हेड ऑफ डेलीगेशन एंव अन्य सदस्यों का राज्य मंत्री हरगोबिन्द कुशवाहा, डॉ0 रमेश सिंह, हेड इक्रीसैट डवलपमेंट सेंटर, डॉ0एम एल जाट, डॉक्टर आर0के0उत्तम, आशीष उपाध्याय पुष्पेन्द्र सिंह बुंदेला सहित अन्य किसानों ने पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत किया। मौके पर डा हर गोविंद कुशवाहा ने योजना अंतर्गत किए जा रहे कार्यों से ग्रामीणों को हो रहे लाभ के विषय में जानकारी दी। भ्रमण की शुरुआत ग्राम भड़ोखर में वर्षा जल संरक्षण के लिए निर्मित हवेली संरचना का अवलोकन किया गया। भ्रमण के दौरान डॉ एम0एल0 जाट, ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर एवं परियोजना प्रमुख डॉ0रमेश सिंह, विभागाध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक इक्रीसेट, हैदराबाद ने परियोजना के अंतर्गत किये गए कार्यों के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने परियोजना की जानकारी देते हुए बताया कि यह परियोजना नवम्बर 2022 में स्वीकृत हुई थी और तब से इस परियोजना के अंतर्गत वर्षा जल संरक्षण के लिए विभिन्न कार्य जैसे हवेली संरचना का निर्माण, नालों का गहरीकरण एवं चौड़ीकरण, नाला बंध का निर्माण, सामुदायिक तालाब का गहरीकरण एवं उस पर उपयुक्त जलनिकासी की व्यवस्था साथ ही खेतो का आकर छोटा कर के उस पर मेडबंदी एवं अतिरिक्त जल निकासी की व्यवस्था इत्यादि किये जा रहे हैं।


डॉ0 रमेश सिंह ने बताया कि इस परियोजना में अब तक कुल 12 हवेली संरचना, 5 सामुदायिक तालाब का जीर्णोद्धार एवं निर्माण किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त लगभग 50 किमी से अधिक लम्बे नाले का गहरी एवं चौड़ीकरण किया गया है एवं जल संरक्षण के लिए लगभग 100 नाला बंध भी बनाये गए हैं। इसके अतिरिक्त वर्षा जल संरक्षण के लिए लगभग 2850 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसानों के खेत पर मेड़बंदी के साथ-साथ अतिरिक्त जल निकासी के लिए सरप्लस संरचनाओं का निर्माण कार्य भी किया गया है। उन्होंने बताया कि इन सभी कार्यों से अब तक लगभग 15.75 मिलियन क्यूबिक मीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा चुका है, जिसका सकारात्मक असर क्षेत्र के भूमिगत जलस्तर एवं कुओं पर साफ दिखाई देने लगा है। कुओं में जल स्तर लगभग 3-4 मीटर बढ़ गया है। भ्रमण के दौरान उन्होंने युगान्डा सी आए दल के सदस्यों को बताया कि वर्षा जल संरक्षण के अतिरिक्त परियोजना के अंतर्गत उच्च उपज देने वाली गेहूँ, चना, मटर, सरसों, मूंगफली इत्यादि की उन्नत प्रजाति के 2000 से अधिक फसल प्रदर्शन किसानों के खेतोँ पर किये गए। पशुओं के लिये हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जई, बरसीम एवं नेपियर तथा बाजरा के 500 से अधिक प्रदर्शन दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त फसल विविधता को ध्यान में रखते हुए एवं किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगभग 150 एकड़ क्षेत्र में फलदार वृक्ष आधारित कृषिवानिकी के प्रदर्शन किये गए हैं, जिसका सीधा लाभ किसानों कि आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर दिखाई देगा। उन्होंने बताया कि इसके अलावा लगभग 750 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सागोन के पौधों का रोपण खेत की मेड़ पर किया गया है। परियोजना के अंतर्गत एक एफ0पी0ओ0 प्रोग्रेसिव बुंदेलखंड किसान उत्पादक कंपनी का गठन किया गया है,जिसके द्वारा रबी (चना एवं मटर) एवं खरीफ (मूंगफली) की उन्नत प्रजाति के बीजों को किसानों के खेतोँ में ही उगाया जा रहा है, जिससे क्षेत्र के किसानों को अच्छी प्रजाति के बीज कम मूल्य पर उपलब्ध कराये जा सकेंगे। परियोजना के अंतर्गत किसानों को खेती के गुण सिखाये जाने एवं उनकी क्षमता विकास के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं। इक्रीसैट परियोजना बुन्देलखंड से सूखे का प्रभाव कम हो गया है। युगांडा के प्रतिनिधिमंडल ने इक्रीसैट के वैज्ञानिकों एवं उपस्थित ग्रामीणों से हवेली संरचना की जानकारी लेते हुए युगांडा में ऐसे प्रोजेक्ट शुरू करने की बात कही। भ्रमण के दौरान इक्रीसैट की ओर से डॉ एम0एल0 जाट, रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर, डॉ0 रमेश सिंह, हेड इक्रीसैट डेवलपमेंट सेंटर आर0के0 उत्तम (सलाहकर), श्रीरामेश्वर शर्मा बकायन, राम प्रकाश पटेल नौटा, गौरव यादव सहित इक्रीसेट का स्टाफ उपस्थित रहा।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






