झांसी। केटरिंग स्टॉल के टेंडरो में हुए गोलमाल की शिकायत के बाद भी जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। यही नहीं ए एच व्हीलर की करोड़ो रूपया सालाना फीस को लाखो में समेट कर टेंडर दे दिया गया। यह बड़ा सवाल टेंडर प्रक्रिया और उसमे बैठने वाले पैनल पर खड़ा हो रहा है। आखिर लिखित शिकायतों के बाद भी भ्रष्टाचार की बलि चढ़ चुकी टेंडर प्रक्रिया में जांच न होना बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।जानकारी के मुताबिक तीन वर्ष पूर्व महारानी लक्ष्मी बाई रेलवे स्टेशन पर केटरिंग स्टॉल के टेंडर प्रक्रिया हुई थी। जिसमे केटरिंग स्टॉल आवंटन प्रक्रिया में कई तथ्यो को छिपा कर चहेतों को आवंटन करने का आरोप लगाते हुए अभी कुछ समय पूर्व लिखित शिकायत रेलवे मुख्यालय ओर झांसी के अधिकारियों को की गई थी। आरोप था की आवंटन प्रक्रिया में बैठे पैनल में कुछ अफसरों ने इसमें बड़ा गोलमाल किया है। शिकायत के बाद पैनल में बैठने वाले अफसरों में हड़कंप मच गया था। लेकिन उस शिकायत पर जांच न हो इसके पूर्व ही उसे दबा दिया जाए इस पर बड़ा बल लगाया गया था। सूत्र बताते है की इस शिकायत को बड़े स्तर से दबा दिया गया है। वही स्टेशन पर ए एच व्हीलर की सालाना फीस एक करोड़ तीस लाख के आस पास थी। इसके टेंडर के समय मात्र तीस लाख रुपया में आवंटन कर दिया गया। रेलवे को सीधे सीधे एक करोड़ के राजस्व की हानि हो रही। एक तरफ केंद्र सरकार रेलवे को घाटे से उबारने में लगी है, तो दूसरी ओर करोड़ो की फीस को लाखो में समेट दिया गया यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। लेकिन जांच करने वाले अधिकारी इन दोनो ही प्रकरणों में जांच को ठंडे बस्ते में डाले हुए है। अगर यह जांच बड़े स्तर से की जाए तो कई बड़े अफसरों के हाथ झुलस जायेंगे।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






