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बुंदेलखंड की बेटी क्रांति गौंड़ ने महिला विश्वकप टीम शामिल होकर रचा इतिहास 

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झांसी।बुन्देलखण्ड की माटी में तासीर ही कुछ ऐसी है जहां भारतीय खेलों के महानायक मेजर ध्यानचंद सहित कई अनगिनत खिलाड़ी दिए!महिला क्रिकेट की बात करे तो बुंदेखंड के झांसी से गायत्री अग्रवाल पहली महिला खिलाड़ी थी जो विश्वकप क्रिकेट के भारतीय कैंप में शामिल रही थी।

1975 हॉकी विश्वकप के स्वर्ण पदक विजेता अशोक कुमार के बाद अब जब मंगलवार को बीसीसीआई द्वारा महिला विश्वकप 2025 टीम की घोषणा की गई और उस भारतीय टीम में बुंदेलखंड के छतरपुर जिले की बेटी क्रांति गौड़ को 2025 महिला क्रिकेट विश्वकप के लिए भारतीय महिला टीम का टिकट मिला। इंग्लैंड सीरीज के अखरी वनडे में 6 विकेट लेने वाली सबसे कम उम्र की गेंदबाज बनी क्रांति गौड़ को भारत और श्रीलंका की मेजबानी में होने वाले वनडे विश्वकप की टीम में चयन के रूप में तोहफा मिला है।यक़ीन करना मुश्किल है,बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के धुवारा से निकली मध्य प्रदेश की 21 वर्षीय तेज़ गेंदबाज़ क्रांति गौड़ के चयन की खबर देखी तो सभी बुंदेलखंडियों का सीना चोड़ा हो गया और सोशल मीडिया पर क्रांति को बधाईयों का तांता लग गया। क्रांति के संघर्ष,मेहनत, जिद और जूनून का जज्बा ही था कि उन्होंने अपनी मेहनत से आज ये मुकाम हासिल किया।

क्रांति गौड़ ने खेल विश्लेषक बृजेंद्र यादव से बात करते हुए बताया कि 2025 तक टीम इंडिया के सदस्य बनने की दौड़ में मैं नहीं थीं।श्रीलंका में त्रिकोणीय सीरीज़ के लिए वनडे प्लेइंग टीम में मेरा नाम नहीं था, मैं निराश नहीं हुई कड़ी मेहनत करती रही।लेकिन एक चोट के कारण तेज़ गेंदबाज़ी ऑलराउंडर काश्वी गौतम बाहर हुईं, तो मुझे फ़ाइनल में खेलने करने का मौक़ा मिला।इस मैच में मैने पांच ओवर डाल कर 22 रन दिए और कोई विकेट नहीं मिला।

जब इंग्लैंड दौरे के मुझे टीम चुनी गया, तो शुरुआत में 30 खिलाड़ियों की सूची में मेरा नाम नहीं था।लेकिन बेंगलुरु में विशेष स्किल कैंप में मेरी मेहनत और गेंदबाजी से मैने वहां के कोचों को प्रभावित किया और बाद में टीम में जोड़ी गईं।

रेणुका सिंह और तितास साधु के चोटिल होने के कारण गौड़ को यह पता था कि इंग्लैंड में वनडे सीरीज़ के दौरान उन्हें अरुंधति रेड्डी के साथ एक स्थान के लिए संघर्ष करना होगा, क्योंकि टीम मैनेजमेंट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे स्पिन-प्रधान आक्रमण के साथ उतरेंगे और अमनजोत कौर दूसरी तेज़ गेंदबाज़ होंगे। भारतीय महिला क्रिकेट लीजेंड झूलन गोस्वामी को अपना आदर्श मानने वाली क्रांति ने उनका ही रिकॉर्ड ब्रेक कर सबसे युवा गेंदबाज थी। क्रांति में अपनी इनस्विंगर,स्लोवर,यॉर्कर गेंद से किसी भी बैटर को चकमा देकर उन्हें आउट करने का माद्दा है।

उन्होंने खेल विश्लेषक बृजेंद्र यादव से टेलीफोन पर कहा कि मैंने 6 विकेट जरूर लिए पर मुझ से बेहतर सीरीज में शानदार प्रदर्शन टीम की कप्तान ग्रेट हरमन दीदी ने अपने बल्ले से सीरीज की जीत तय की थी।तो उन्हें मैच का सर्वश्रेष्ठ पुरुस्कार मिला था,पर उनकी महानता थी कि मेरे उत्साह वर्धन के लिए उन्होंने अपनी ट्रॉफ़ी मुझे समर्पित की और मैच की गेंद पर मेरे आंकड़े लिखकर साइन की हुई गेंद मुझे दी।भारतीय कप्तान हरमनप्रीत ने इंग्लैंड दौरे की समाप्ति पर कहा था कि एक गेंदबाज़ के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। हम लंबे समय से ऐसी तेज़ गेंदबाज़ की तलाश में थे। बहुत बेहतरीन गेंदबाजी की क्रांति तुमने, तुम इस ट्रॉफी का हक़ रखती हो।क्रांति जब सुर्खियों में आई थी तब सीनियर महिला एकदिवसीय टूर्नामेंट के फ़ाइनल में ऋचा घोष को आउट करने वाले स्पेल में उन्होंने चार विकेट लिए और सबका ध्यान खींचा,फिर WPL में जब उन्होंने मेग लानिंग को आउट किया, तब उन्होंने बड़े मंच पर अपनी दस्तक दी।इस लिए वह विश्व कप के टिकट की हक़दार बन सकी।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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