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बूट्स ने झांसी विकास प्राधिकरण के लिए 90 दिनों के रेकॉर्ड समय में पहली नेट-जीरो लाइब्रेरी बनाई

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झांसी। उत्तर प्रदेश, भारत, 21 जून, 2023: भारत की पहली नेट-जीरो कंस्ट्रक्शन टेक कंपनी, बूट्स, ने झांसी में 90 दिनों के रिकार्ड समय में भारत की पहली और सबसे बड़ी नेट-जीरो लाइब्रेरी का निर्माण किया है।12000 वर्ग फीट की इस झांसी लाइब्रेरी परियोजना को झांसी विकास प्राधिकरण (जेडीए) द्वारा पूरा किया गया और इसे झांसी स्माकर्ट सिटी का सहयोग प्राप्तय है, यह परियोजना सीखने और अपने व्यक्तित्व का विकास करने के लिए अनुकूल माहौल बनाती है। प्रदेश के कई जिलों में विश्वविद्यालय के प्राचीन पुस्तकालयों की सीखने की विरासत को कायम रखते हुए, झांसी की लाइब्रेरी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और भविष्य को ध्यान में रखकर बनाए गए डिजाइन की विचारधारा का मिश्रण है। झांसी लाइब्रेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेट-जीरो विज़न 2070 के लक्ष्य को ध्यान में रखकर विकसित की गई है। यह पहली और इकलौती नेट-जीरो लाइब्रेरी है,जो साइट पर 100 फीसदी ऊर्जा उत्पन्न करती है और कार्बन उत्सर्जन में 85 फीसदी तक की कटौती करती है। इस अवसर पर झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आलोक यादव ने मौके पर कहा, “इमेजिन्ड इन इंडिया, इनोवेटेड फॉर इंडिया, इनस्टिल्ड इंडिया की मिसाल। बूट्स ने अत्याीधुनिक वैश्विक टेक्नोनलॉजी का प्रयोग कर लाइब्रेरी की डिजाइनिंग और निर्माण किया। यह नेट-जीरो विजन 2070 की दिशा में भारत के सफर में क्रांतिकारी कदम है। यह पर्यावरण हितैषी अभ्याजसों, इनोवेशन और सामुदायिक सशक्तिकरण का प्रतीक है। इससे वह संसाधन मिलते हैं, जोकि युवाओं और बड़े पैमाने पर समुदाय को सीखने एवं ज्ञान को साझा करने में सक्षम बनाते हैं। हम 12 हजार वर्गफुट में लाइब्रेरी का निर्माण करने के लिए बूट्स की सराहना करते हैं। इस लाइब्रेरी में 90 दिनों के रेकॉर्ड समय में ग्रीन आर्किटेक्चर के तीन फ्लोर बनाए गए हैं जोकि आत्मनिर्भर इंफ्रास्ट्रनक्च।र और पेशनल स्मा9र्ट सिटीज मिशन को सपोर्ट करते हैं। झांसी लाइब्रेरी के कॉन्ट्रैक्टर्स, बूट्स के मैनेजिंग डायरेक्टहर दीपक राय ने बताया, “हम यह अवसर प्रदान करने के लिए झांसी विकास प्राधिकरण के बेहद आभारी हैं। जीडीए की लीडरशिप टीम और उत्तर प्रदेश की सरकार ने वास्तविक रूप से पर्यावरण को संरक्षित रखने के उपाय और विकास के प्रति समर्पण की झलक दिखाई है। हमारा मानना है कि यह प्रयास दूसरे को स्थायी भविष्य को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे, जो प्रगति का सच्चा पैमाना और प्रतीक स्थायी और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने वाली बिल्डिंग निर्माण की प्रक्रिया को अपनाने में निर्माण उद्योग की दिलचस्पी बढ़ी है। बूट्स इसमें सबसे अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहा है। इस पर काम करते हुए निर्माण उद्योग स्थायी और आत्मनिर्भर इंफ्रास्ट्रपक्च र हासिल करने के लिए नेट-जीरो प्रॉडक्ट्स की डिजाइनिंग, इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन कर सकते हैं। झांसी लाइब्रेरी स्थिर और ठोस वास्तुकला का चमत्कार है। प्राचीन संसाधनों और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए यह लाइब्रेरी वास्तव में पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित जगह पर बनाई गई है। यह लाइब्रेरी छात्रों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इस लाइब्रेरी के निर्माण में तीन स्तरों की विचारधारा को शामिल किया गया है, जिसमें स्थायित्व, ज्यादा से ज्यादा प्रभावशीलता और कम पर्यावरणीय प्रभाव शामिल है। पहले स्तर पर लाइब्रेरी को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसमें भरपूर कुदरती प्रकाश आए। लाइब्रेरी के निर्माण में पढ़ने के लायक बेहतर और अच्छा माहौल बनाने और स्टूडेंट्स को पढ़ाई के लिए आकर्षित करने में सूरज की रोशनी के महत्व को ध्यान में रखा गया। लाइब्रेरी में सेहत के लिहाज से बेहतरीन अंदरूनी वातावरण बनाया गया है। इसमें चारों ओर से हवा आने की व्यइवस्था की गई है। दूसरे स्तर पर लाइब्रेरी के निर्माण सिद्धांतों में साइट पर सोलर पीवी पैनल और विंड टरबाइन का इस्तेमाल कर 100 फीसदी रिन्युबएबल एनर्जी का उत्पादन शामिल है। इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है। इसमें ऊर्जा की कम खपत का । लाइब्रेरी में जल संरक्षण के उपायों को भी अपनाया गया है। जल संसाधनों के संरक्षण के लिए इनमें वर्षा जल का संग्रहण और ग्रे वॉटर ट्रीटमेंट जैसे तरीकों की मदद ली जाती है। परिष्कृत बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम कंप्यूटर से कंट्रोल किए गए सिस्टम के माध्यम से पूरी लाइब्रेरी का प्रबंधन किया जाता है। इससे पर्यावरण के हानिकारक प्रभाव में कटौती होती है। झांसी की लाइब्रेरी पूरी तरह से आधुनिक और स्थायी जगह पर बनाई गई है, जिससे यह साफ नजर आता है कि किस तरह प्राचीन तकनीक को आधुनिक तकनीक में मिलाकर एक ऐसा माहौल और जगह बनाई जा सकती है, जो न केवल खूबसूरत हो, बल्कि क्रियाशील, स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण का माहौल बनाने की पूरी जिम्मेदारी निभाए।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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