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भारतगौरव राष्ट्रसंत गणाचार्य विरागसागरजी महामुनिराज की 61 वर्ष की आयु में महाराष्ट्र में समाधि अंतिम बार 2 मार्च 2022 को झांसी में मात्र एक दिन के अल्प प्रवास पर आए थे

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झांसी। बुन्देलखण्ड के प्रथम दिगम्बर जैनाचार्य के नाम से प्रख्यात भारत गौरव, राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री विरागसागरजी महामुनिराज का समतापूर्वक समाधिमरण का समाचार सुनकर देश दुनिया में रह रहे उनके लाखों करोड़ों उपासकों और जैन समाज में महाशोक छा गया। आचार्य विद्यासागर जी के बाद दिगम्बर जैन श्रमण परम्परा का एक और सूर्य अस्त हो गया। उन्होंने (आज) 04 जुलाई को महाराष्ट्र प्रान्त के जालना के देवमूर्ति ग्राम सिंदखेड़ा में रात्रि 2:30 बजे अंतिम सांस ली। संघ सहित उनका लगातार पदविहार चातुर्मास प्रवास हेतू औरंगाबाद के लिए चल रहा था 1 जुलाई को पदविहार के दौरान सीने में दर्द हुआ साथ में चल रहे श्रद्धालुओं ने देखभाल करते हुए उनकी वैयावृत्ति (सेवा) की। दूसरे दिन श्रीजी का अभिषेक एवम् शांतिधारा के उपरांत स्वास्थ लाभ होने पर आचार्यश्री की निर्विघ्न आहारचर्या श्रावकों ने संपन्न कराई। शाम होते होते निमित्त ज्ञान से अपने जीवन का अंतिम समय जानकर आचार्य श्री ने चारों प्रकार के आहार का आजीवन त्याग कर प्राणिमात्र के जीवों के प्रति क्षमा धारण कर समतापूर्वक सल्लेखना समाधिमरण किया।इधर झांसी में जैसे ही अर्धरात्रि में गुरुभक्तों को समाधि की सूचना प्राप्त हुई तो सोशल मीडिया के माध्यम से प्रातः होते होते जैन समाज में शोक व्याप्त हो गया। लोगों ने अपनी लेखनी के माध्यम से गुरुदेव के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित कर विनम्र विनयांजलि व्यक्त करते हुए अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट की।खबर का बॉक्स• गणाचार्य भगवन के सानिध्य में सन् 2017 में झांसी में आयोजित हुआ था युग प्रतिक्रमण यति सम्मेलन झांसी। नगर के श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र करगुंवा जी में सन् 2017 में आयोजित युग प्रतिक्रमण यति सम्मेलन महामहोत्सव के मीडिया प्रभारी सौरभ जैन सर्वज्ञ ने बताया कि दादागुरु गणाचार्य श्री विरागसागरजी महामुनिराज को अतिशय क्षेत्र करगुंवा जी से विशेष लगाव था तभी तो उन्होंने अपने विशाल श्रमण संघ के साथ द्वितीय युग प्रतिक्रमण यति सम्मेलन यहां करने हेतु स्थानीय समाज को आशीर्वाद दिया था। गौरतलब है गणाचार्य विरागसागर जी महामुनिराज प्रत्येक 5वर्ष में अपने दीक्षित सम्पूर्ण साधु संतों के साथ युग प्रतिक्रमण करते थे। पहला युग प्रतिक्रमण सन् 2012 में जयपुर, दूसरा झांसी तो तीसरा विरागोदय तीर्थ पथरिया में आयोजित हुआ था। जहां भक्तों को एक साथ हजारों साधु संतों, त्यागी व्रतियों का आशीर्वाद और सानिध्य प्राप्त होता आया है।युवा समाजसेवी गौरव जैन नीम ने बताया कि जैसे ही समाधिमरण की यह दुखद सूचना गुरुभक्तों को प्राप्त हुई तो सम्पूर्ण समाज में शोक व्याप्त हो गया। नगर के समस्त जिनमंदिरों में आचार्य श्री विरागसागरजी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर श्रद्धालुओं ने गुरुदेव के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित कर भावभीनी विनयांजलि समर्पित की।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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