झांसी। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी में आज “राष्ट्रीय महिला किसान दिवस” बड़े हर्षोल्लास, उत्साह एवं गरिमा के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि कुलाधिपति डॉ. पंजाब सिंह, अध्यक्षता कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह, विशिष्ट अतिथि उप श्रम आयुक्त झांसी मंडल श्रीमती किरण मिश्रा तथा महानिदेशक उपकार लखनऊ डॉ. संजय सिंह, निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ सुशील कुमार सिंह द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।
मुख्य अतिथि कुलाधिपति डॉ. पंजाब सिंह ने कहा कि महिला किसान भारतीय कृषि की रीढ़ हैं। आज महिलाएं खेती-बाड़ी, पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय, फल-फूल उत्पादन और मछली पालन में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि “महिला सशक्तिकरण” के माध्यम से ही कृषि क्षेत्र में वास्तविक प्रगति संभव है। उन्होंने महिला किसानों को मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और विपणन की आधुनिक तकनीकों से जुड़ने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित महिलाएं भविष्य में दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हों।
उप श्रम आयुक्त झांसी मंडल किरण मिश्रा ने अपने उद्बोधन की शुरुआत प्रेरक पंक्तियों “सृष्टि नहीं नारी बिना” से की। उन्होंने कहा कि समाज को अब महिलाओं को समान अवसर और अधिकार देना होंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाएं जैविक खेती, पर्यावरण संरक्षण और उद्यमिता के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही हैं। उन्होंने बताया कि श्रम विभाग महिलाओं के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रहा है, जिनका लाभ पोर्टल या विभागीय कार्यालयों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
अध्यक्षीय सम्बोधन में कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि “महिला किसान दिवस” की शुरुआत वर्ष 2017 में तत्कालीन कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह के प्रयासों से हुई थी। उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र में लगभग 50 प्रतिशत श्रमिक महिलाएं हैं, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में यह संख्या 90 प्रतिशत तक पहुंचती है। विश्वविद्यालय में वर्तमान में 60 प्रतिशत छात्राएं अध्ययनरत हैं और पिछले दीक्षांत समारोह में 17 छात्राओं को स्वर्ण पदक प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय महिला किसानों के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी हस्तांतरण और मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में निरंतर कार्यरत है।
डॉ. सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय ने 3000 क्विंटल बीज उत्पादन किया है और अनेक एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। उन्होंने महिलाओं से कुपोषण उन्मूलन, पोषण-प्रधान कृषि, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन और बागवानी आधारित उद्यमिता में जुड़ने का आह्वान किया।
महानिदेशक उपकार, लखनऊ डॉ. संजय सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण को कृषि के विकास और खाद्य सुरक्षा से जोड़ना समय की मांग है। केंद्र और राज्य सरकार महिलाओं के लिए अनेक योजनाएं चला रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को कृषि के साथ पशुपालन, प्रसंस्करण और विपणन को जोड़कर अपनी आय बढ़ानी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिला किसानों को प्रशिक्षण, तकनीकी सहयोग और वित्तीय सहायता के साथ बाजार तक पहुंच सुनिश्चित कराना अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम के दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिला किसानों को सम्मानित किया गया —
अंगूरी देवी (ग्राम विरगुवा) – कृषि क्षेत्र में
अर्चना देवी (ग्राम विरगुवा) – पशुपालन क्षेत्र में
साधना (ग्राम बिरगुवा) – सब्ज़ी उत्पादन में
सुलेखा (ग्राम बेहटा) – सब्ज़ी क्षेत्र में
संगीता श्रीवास्तव – महिला समूह सशक्तिकरण में
सभी को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम समन्वयक/ निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुशील कुमार सिंह ने
सभी का स्वागत परिचय कराते हुए कहा कि “महिला किसान दिवस” केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि महिला किसानों के योगदान का सम्मान और उनके सशक्तिकरण की दिशा में एक सशक्त पहल है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा महिला किसानों के लिए विभिन्न प्रशिक्षण, तकनीकी परामर्श एवं उद्यमिता विकास कार्यक्रम निरंतर संचालित किए जा रहे हैं, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकें।
समारोह में विश्वविद्यालय के अधिकारीगण, महिला वैज्ञानिक, छात्राएँ एवं विभिन्न ग्रामों से आईं महिला किसान बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम का समापन उत्साहपूर्ण माहौल में हुआ, इसमें महिला सशक्तिकरण और कृषि में उनकी निर्णायक भूमिका का भावपूर्ण संदेश झलका।
कार्यक्रम का संचालन डॉ स्वाति शैडगे ने एवं डॉ शुभा त्रिवेदी ने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।
रिपोर्ट -मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा



