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आज भी बेटी की शादी में कोई कमी पड़ती है, उसे कुंवर हरदौल जू पूरा करते है

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झांसी। बुंदेलखंड में भांजी की शादी में जब तक मामा भात नही लाए वह शादी अधूरी मानी जाती है। लेकिन इस कलयुग में आज भी बेटी बहन की शादी में भात लेकर आते है हरदौल जू, बेटी बहन की शादी में आज भी कोई कमी होती है तो उसे पूरा करने है हरदौल,इसी मान्यता के साथ बुंदेलखंड में किसी भी घर में शादी होती है तो उसका पहला निमंत्रण ओरछा के रामराजा सरकार और फिर कुंवर हरदौल जी के पास जाता है, ओर उनसे प्रार्थना की जाती है आप शादी में जरूर आए। इसी प्रार्थना का फल होता है की शादी विवाह अच्छी तरह से संपन्न होते है। आपको बता दे की आखिर क्यों शादी विवाह का पहला निमंत्रण रामराजा सरकार के बाद हरदौल जी को जाता है।ओरछा के राजकुंवर हरदौल के बड़े भाई राजा जुझार सिंह ओरछा के राजा थे lदिल्ली के मुग़ल शासक से उनकी मित्रता थी, लेकिन राजकुमार कुंवर हरदौल हमेशा मुगलों से युद्ध को तत्पर रहते थे, वो क्षत्रिय ब्राह्मण एक कर ओरछा को स्वतंत्र हिन्दू राज्य के रूप में देखना चाहते थे उन्होंने कदौरा. कालपी भांडेर और एरिच के मुग़ल सरदारों को भागने को मजबूर कर दिया था, तब मुग़ल सरदार राजा जुझार सिंह से चुगली कर यह संदेह उत्पन्न कर गए कि हरदौल के आपकी पत्नी से गलत रिश्ते है और हरदौल आपके मुग़ल मित्रो को और आपको मार स्वयं राजा बनना चाहते “”!तब जुझार सिंह ने अपनी रानी से हरदौल को भोजन मे जहर देने को बोला, रानी हरदौल को पुत्र की तरह मानती थी उन्होंने कुंवर हरदौल को पूरी बात बताई तब हरदौल सहर्ष जहर मिला भोजन कर मृत्यु को स्वीकार कर गए उनकी तेहरवीं मेँ ब्राह्मणों ने भोजन करने से मना कर दिया था तब राजा जुझार सिंह ने तेरह हजार जागीरें ब्राह्मणों को दान की गंगा स्नान किये, उसी बीच दतिया की रानी कुंजावती अपने भाई जुझार सिंह और कुंवर हरदौल को अपनी पुत्री के विवाह को निमंत्रण और भात मांगने आई तब कुंवर हरदौल की मृत्यु का समाचार सुन दुःखी हुई उनकी समाधि स्थल पर बिलाप करने लगी lबताते हैं कि तब कुंवर हरदौल बहिन कुंजावती को रोता देख प्रकट हुये और बहिन को वादा किया भांजी की शादी मे भात लेकर आऊंगा lतब सैकड़ो बैलगाड़ी उपहार भर भात दतिया पहुंचा और दूल्हे के जिद करने पर कुँअर हरदौल पुनः प्रकट हुये और दूल्हे को कलेवा अपने हाथ से कराया… इस ऐतिहासिक घटना को 400साल होने को है हमारे बुंदेलखंड के प्रत्येक गाँव मे कुंवर हरदौल को देव तुल्य मान उनके चबूतरे बना पूजा जाता और प्रत्येक विवाह मे सबसे पहिले उनको निमंत्रण दिया जाता .. मान्यता है इससे हरदौल शादी मे उपस्थित होते हैं और विवाह में कोई कमी नही रहतीं जो कमी हो आज भी कुंवर हरदौल पूरी करते है। बुंदेली बौछार से लिया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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